डा.जमाल बदवी को हमारे जवाबात

बाइबल में मुहम्मद

लेखक : सैम शमून

मुख्य अनुवादक : भाई. प्रवीण


सदियों से मुस्लिम विद्वानों ने मसीह के प्रभुता का विरोध करते आये हैं। उन का दावा यह भी है कि मसीही समाज अपने लेखनों को सही तरीके से जानता नहीं है, जिस में मुहम्मद के बारे में भविष्यवाणियाँ की गयी हैं। इन विद्वानों की पन्थ में अपने आप को जोड़नेवाले डा. जमाल बदवी ने एक पुस्तिका लिखा है जिस का नाम है “मुहम्मद इन द बाइबल”। इसी पुस्तिका की आलोचना हम इस लेख में करेंगे।


अपनी प्रचार पुस्तिका में बदवी बाइबल के कुछ अंशों की व्याख्या अपने अंदाज़ में करते हुए लिखते हैं कि मुहम्मद परमेश्वर यहोवाह का एक भविष्यवक्ता है। बाइबल के उन्ही अंशों का सही अध्ययन बदवी को गलत ठहराता हैं। हम इस लेख में बदवी के द्वारा प्रस्तुत किए गये बाइबल आधारित अहम मुद्दों की संक्षिप्त एवं यथाक्रम आलोचना करते हुए मसीही सिद्धांत का सही वर्णण देखेंगे। साथ ही बदवी के मुद्दों का प्रति-उल्लेख करेंगे ताकि बाइबल का स्थिर सिद्धंत सही माइने मे समझ पायें।


बदवी की पुस्तिका की अहम बातों की आलोचना:

1. मुहम्मद जो इश्माएल का वंशज है, मुस्लिम विद्वानों के अनुसार, परमेश्वर का अभिषिक्त भविष्यवक्ता है।

इस बात को साबित करने केलिये वे उत्पत्ति 17:20 का प्रयोग करते हैं। परंतु बाइबल के इस भाग को सही संदर्भ में पढ़ने पर यह बात स्पष्ट होती है कि यह आशीर्वाद इश्माएल की वंशावली और उस की राजनैतिक सफलता को दर्शाता है। इसी आशीर्वाद के कारण इश्माएल के 12 संतान समृद्धि के साथ अपने अपने राज्य संभाले।


“इश्माएल के विषय में भी मैं ने तेरी सुनी है; मैं उसको भी आशीष दूँगा, और उसे फलवन्त करुँगा और अत्यन्त ही बढ़ा दूँगा; उस से बारह प्रधान उत्पन्न होंगे, और मैं उस से एक बड़ी जाति बनाऊँगा। परन्तु मैं अपनी वाचा इसहाक ही के साय बाँधूँगा जो सारा से अगले वर्ष के इसी नियुक्त समय में उत्पन्न होगा।” उत्पत्ति 17:20-21


वाचा की पूर्ति:

“अब्राहम का पुत्र इश्माएल जो सारा की मिस्री दासी हाजिरा से उत्पन्न हुआ था, उसकी यह वंशावली है। इश्माएल के पुत्रों के नाम और वंशावली यह है : अर्थात्‌इश्माएल का जेठा पुत्र नबायोत, फिर केदार, अद्‌बेल, मिबसाम, मिश्मा, दूमा, मस्सा, हदर, तेमा, यतूर, नापीश, और केदमा।..... और ये ही बारह अपने अपने कुल के प्रधान हुए।” उत्पत्ति 25:12-16

उत्पत्ति की पुस्तक स्थिरता के साथ इस बात पर ज़ोर देती है कि सारा के द्वारा अब्राहम की सन्तान ही राजा एवं भविष्यवक्ताओं से आशीषित होगी, जो चार सौ वर्षों के लिए एक विदेशी देश में दासत्व में रहने के बाद कनान मे प्रवेश करके परमेश्वर का रज्य बनेगी। (उत्पत्ती12:1-3; 15:13-16; 17:15-16,19,21; 21:12; 22:17-18; 26:24; 28:13-15; 35:11-12)

कु़रआन भी इसी बात की गवाही देती है कि इसहाक़ ही परमेश्वर का चुना हुआ पुत्र है जिसके द्वारा भविष्यवक्ता एवं राजा उत्पन्न होंगे।

“और हम ने उसे इसहाक़ और याकू़ब प्रदान किए और उसकी संतति मे नबुव्वत और किताब का सिलसिला जारी किया। और हम ने दुनिया में उसे प्रतिफल प्रदान किया और यक़ीनन ही वह आखि़रत में अच्छे लोगों में से होगा।” सूरह 29:27

संतति का मतलब इस्राएल है और इस बात का प्रमाण निम्न आयत है:

“ए इस्राईल की सन्तान! याद करो मेरे उस अनुग्रह को जो मैं ने तुम पर किया था। और इसे भी कि मैं ने तुम्हें सारे संसार पर श्रेष्ठता प्रदान की थी।” सूरह 2:47

“ निश्चय ही हम ने इस्राईल की संतान को किताब और हुक्म (हुकूमत) और नुबुव्वत प्रदान की थी। और हम ने उन्हें पवित्र चीज़ों की रोज़ी दी, और उन्हें सारे संसारवालों पर श्रेष्ठता प्रदान की। और हम ने उन्हें इस मामले (हुकूमत और पैगम्बरी) के बारे में स्पष्ट निशानियँ प्रदान की। फिर जो भी विभेद उन्होंने किया वह इसके पश्चात ही किया कि उनके पास ज्ञान आ चुका था, और इस कारण की वे परस्पर एक दूसरे पर ज़्यादती करना चाहते थे। बेशक तुम्हारा रब कियामत के दिन उनके बीच उन चीज़ों के बारे में फ़ैसला कर देगा जिन में वे परस्पर विभेद करते थे।” सूरह 45:16-17

“ए इस्राईल की संतान! मेरी उस कृपा को याद करो जो मैं ने तुम पर की थी और यह कि मैं ने तुम्हें संसारवालों पर श्रेष्ठता प्रदान की।” सूरह 2:122

इस के बाद डा बदवी पेहलौठे का हक़ याद दिलाते हुये कहते हैं कि इश्माएल इसहाक़ से महत्वपूर्ण है।

यह प्रयत्न भी विफल है क्यों कि धर्मशास्त्र जो अब्राहम के 400 साल बाद प्रगट हुआ, अब्राहम पर लागू नही होता, अगर होता तो अब्राहम पर संपूर्ण धर्मशास्त्र लागू होता जैसे सबत का दिन (विश्रामदिन) का आचरण, एक ही घर के बहिनों से (जैसे याक़ूब ने किया) शादी नहीं करने जैसे नियम भी लागू होते हैं। और इस कारण मुस्लिमों का यह तर्क सही नहीं है।

इतना ही नहीं बल्कि बदवी स्पष्ट बाइबिल उदाहरणों का भी असावधानी करते हैं जहाँ परमेश्वर अपने सर्वाधिपत्य में कई बार ज्येष्ठ को छोड़कर संतान में छोटे को चुना है। उदाहरण के लिये परमेश्वर ने एसाव को छोड याक़ूब को चुना था।

“तेरे गर्भ में दो जातियाँ हैं, और तेरे कोख से निकलते ही दो राज्य के लोग अलग अलग होंगे, और एक राज्य के लोग दूसरे से अधिक सामर्यी होंगे और बड़ा बेटा छोटे के अधीन होगा।” उत्पत्ति 25:23

परमेश्वर ने यूसुफ़ के छोटे पुत्र को चुना लेकिन ज्येष्ठ पुत्र को नहीं। उत्पत्ती 48:17-19

इन आयतों के आधार पर मूसा के धर्मशास्त्र मे ज्येष्ठ का जो महत्व है, वह अब्राहम के समय में दिया नही गया।

2. बदवी प्रस्ताव करते हैं कि मुहम्मद मूसा के समान एक नबी हैं जिस के बारे में पेहले से ही भविष्यवाणी की गयी है।

“मैं उनके लिये उनके भाइयोंके बीच में से तेरे समान एक नबी को उत्पन्न करूंगा, और अपना वचन उसके मुंह में डालूंगा, और जिस जिस बात की मैं उसे आज्ञा दूंगा वही वह उनको कह सुनाएगा।” व्यवस्थाविवरण 18:18


इन पदों को, जहां मूसा जैसे भविष्यवक्ता का प्रस्ताव आया है, अक्सर मुसल्मानों ने मुहम्मद के लिये निम्न कारणों से समझते आये हैं:

1. वह नबी उनके जाति के भाइयों में से होगा (इस्राएलियों के भाइयों से) अर्थात इश्माएलियों से।  
2. मुहम्मद ने परमेश्वर के वचन (कु़र‍आन) का प्रचार किया जैसे बाइबल के इस पद में लिखा है, कि वह भविश्यवक्ता परमेश्वर के वचन का प्रचार करेगा।
3. मुहम्मद मूसा के समान, अपने लोगों से अस्वीकृत हुवा, (जैसा मूसा मिद्यान को भाग गया) उसके पश्चात वापिस आकर, व्यवस्था विधान एवं सैनिक बल के       अधिकारी के रूप में, अपना क़ौम स्थापित किया।

इन उल्लेखों के साथ समस्या यह है कि ये अभिलक्षण मूसा तुल्य नबी को पहचानने हेतु बाइबल में नहीं दी गयी हैं, बल्कि उस नबी को निम्न दो विशयों में मूसा के समान होना चाहिये।

“और यहोवा मूसा से इस प्रकार आमने-सामने बातें करता था, जिस प्रकार कोई अपने मित्र से बातें करे।” निर्गमन 33:11

“और मूसा के तुल्य इस्राएल में ऐसा कोई नबी नहीं उठा, जिस से यहोवा ने आमने-सामने बातें की, और उसको यहोवा ने फि़रौन और उसके सब कर्मचारियों के सामने और उसके सारे देश में, सब चिह्न और चमत्कार करने को भेजा था, और उसने सारे इस्राएलियों की दृष्टि में बलवन्त हाथ और बड़े भय के काम कर दिखाए।” व्यवस्थाविवरण 34:10-12

इस कारण यह नबी को चिह्न और चमत्कार, मूसा के समान, करना होगा, और परमेश्वर को आमने-सामने जानना होगा। आश्चर्यजनक बात यह है कि कु़रआन भी इस बात को बताती है कि यहोवा मूसा से आमने-सामने बातें करता था।

“हम ने तुम्हारी ओर उसी प्रकार वही भेजी है जिस प्रकार नूह और उसके बाद के नबियों की ओर वही भेजी थी। और हम ने इब्राहीम, इस्माईल, इस्‍हाक़ और याकू़ब और उसकी संतान और ईसा और अय्यूब और यूनुस और हारून और सुलैमान की ओर वही भेजी थी। और हम ने दाऊद को ज़बूर प्रदान किया। और कितने ही रसूल हुए जितना वृत्तान्त पहले हम तुम से बयान कर चुके हैं, और कितने ही ऐसे रसूल हुए जिनका वृत्तान्त हम ने तुम से नहीं बयान किया। और मूसा से अल्लह ने बात चीत की जिस प्रकार (आम तौर पर) बात चीत की जाती है।” सूरह 4:163-164

इन बातों को मुहम्मद पूरा नहीं कर पाया क्योंकि - उसने न कभी परमेश्वर को देखा और न कभी चिह्न या चमत्कार किया। इस का प्रमाण निम्न आयत में हम पाते हैं।

“जिन्हे ज्ञान नहीं वे कहते हैं: “अल्लाह हम से बात क्यों नही करता? या कोई निशानी हमारे पास क्यों नही आती” इसी प्रकार इनके पहेले के लोग भी कह चुके हैं। इन सब के दिल एक जैसे हैं। हम खोल खोल कर निशानियां उन लोगों के लिये बयान कर चुके हैं जो विश्वास करने वाले हैं।” सूरह 2:118

“यदि तुम उन लोगों के पास, जिन्हें किताब दी गयी थी, कोई भी निशानी ले आओ फिर भी वे तुम्हारे किबले का अनुसरण नही करेंगे, और तुम भी उनके किबले का अनुसरण करने वाले नही हो। वे स्वयम परस्पर एक दूसरे के किबले का अनुसरण करने वाले नहीं हैं। और यदि तुम ने उस ज्ञान के पश्चात, जो तुम्हारे पास आ चुका है, उन की इच्छाओं का अनुकरण किया तो निश्चय ही तुम्हारी गणना ज़ालिमों मे होगी।” सूरह 2:145

“वे यह भी कहते हैं “उस पर उसके रब की ओर से कोई निशानी क्यों नही उतारी गयी?” कहो “अल्लाह बेशक का़दिर है कि कोई निशानी उतारे, परन्तु उन में से अधिकांश नही जानते।” सूरह 6:37

“ये लोग तो अल्लाह की क़सम बड़े ज़ोर से खाकर कहते हैं कि यदी उनके पास कोई निशानी आ जाए, तो उस पर वे अवश्य ईमान लायेंगे. कह दो: ‘निशानियां तो अल्लाह ही के पास हैं।’ और तुम्हें क्या पता कि जब वे आ जायेंगी तो भी ये ईमान नही लाएंगे।” सूरह 6:110

“फिर जब उनके पास हमारे यहां से सत्य आगया तो वे कहने लगे कि ‘जो चीज़ मूसा को मिली थी उसी तरह की चीज़ इसे क्यों न मिली?’ क्या वे उनका इंकार नही कर चुके हैं, जो इस से पहले मूसा को प्रदान किया गया था? उन्हों ने कहा ‘दोनों जादू हैं जो एक दूसरे की सहायता करते हैं’, और कहा ‘हम तो दोनों का इंकार करते हैं’।” सूरह 28:48

मसरूक का कथन:

मैं ने आइशा से कहा “ए माँ! क्या मुहम्मद नबी ने अपने प्रभु को देखा है? आइशा ने उत्तर दिया “तुम्हारे कहने को सुन कर मेरे रोंगटे खड़े हो गये। यह जान लो कि कोइ तुम्हें निम्न तीन बातें कहे तो वह झूटा है। जो भी कहता है कि मुहम्मद अपने प्रभु को देखा है। फिर आइशा ने आयत को पढ़ा

“निगाहें उसे पा नहीं सकतीं, मगर वह निगाहों को पा लेता है। वह अत्यन्त सूक्ष्म ख़बर रखने वाला है।” सूरह 6:103

“यह मनुष्य के लिये संभव नहीं कि उस से अल्लाह बात करे, वह केवल प्रेरणा के द्वारा या पर्दे के पीछे से बात करता है।” सूरह 42:51

आइशा ने आगे कहते हुए कहा “जो भी यह कहता है कि कल क्या होने वाला है नबी जानता है, तो वह झूटा है फिर उस ने आयत को पढ़ा:

“कोई व्यक्ति नहीं जानता कि कल वह क्या कमायेगा और कोई व्यक्ति नहीं जानता है कि किस भू भाग में उसकी मृत्यु होगी।” सूरह 31:34

“उन्हों ने यह भी जोड़ा “जो कोई कहता है कि उसने अल्लाह के आज्ञाओं को छिपाया है तो वह झूटा है, फिर आयत पढ़ी “ए रसूल! तुम्हारे रब के ओर से तुम पर जो कुछ उतारा गया है उसे पहुंचा दे।” सूरह 5:67

और आइशा ने कहा “परन्तु नबी ने जिब्रील को दो बार उसके निज स्वरूप में देखा।” (सही अल बुखा़री, खंड 6, पुस्तिका 60, संख्या 378)

इन कथनों के अधार पर मुहम्मद मूसा के समान नबी नहीं है।

दूसरा विषय यह है कि “जाति भाइयों” का मतलब केवल इस्राएल के 12 गोत्रों को ही दर्शाता है।

“लेवीय याजकों का, वरन सारे लेवीय गोत्रियों का, इस्राएलियों के संग कोई भाग या अंश न हो; उनका भोजन हव्य और यहोवा का दिया हुआ भाग हो। उनका अपने भाइयों के बीच कोई भाग न हो; क्योंकि अपने वचन के अनुसार यहोवा उनका निज भाग ठहरा है।” व्यवस्थाविवरण 18:1-2

व्यवस्थाविवरण 17:15 में परमेश्वर कहता है कि “… अपने भाइयों ही में से किसी को अपने ऊपर राजा ठहराना..” यह इतिहास है कि इस्राएल कभी भी इश्माएलियों में से किसी को अपने ऊपर राजा नहीं बनाया। इन संदर्भों के अनुसार “जाति भाई” केवल इस्राएलियों को ही दर्शाता है ना कि इश्माएलियों को।

इन अभिलक्षणों को केवल यीशु मसीह में ही पा सकते हैं:

1.    यीशु ने कहा कि मूसा ने उनके विषय में लिखा है। यूहन्ना 5:46
2.    प्रेरितों ने इस वचन का मसीह में संपूर्ण होने का प्रमाण दिया है। यूहन्ना 1:45, प्रेरितों 3:17-24
3.    उन दोनों के जन्म समय पर शिशुओं को अन्त करने की कोशिश की गयी है। निर्गमन 1:15-16,22; मत्ती 2:13
4.    दोनों को दैविक हस्तक्षेप के द्वारा बचाया गया। निर्गमन 2:2-10; मत्ती 2:13
5.    मसीह परमेश्वर के पुत्र होने के नाते परमेश्वर को आमने सामने जानता था, जैसा मूसा भी जान्ता था। वास्तव में मसीह परमेश्वर का प्रतिरूप है। मत्ती 11:27; यूहन्ना 1:1-3,14,18; यूहन्ना 14:9; कुलुस्सियों 1:15-17; इब्रानियों 1:2,3
6.    मूसा को परमेश्वर ने 40 वर्श जंगल मे रखकर अपने लक्ष्य के लिये तैयार किया; उसी तरह मसीह को 40 दिन के लिये। निर्गमन 7:7; मत्ती 4:1
7.    मसीह, मूसा के समान, रूपांतरित हो कर सूर्य के समान चमके। निर्गमन 34:29; मत्ती 17:2
8.    मसीह मूसा से अधिक आश्चर्य कार्य किये। मृतकों को जीवित करना एक उदाहरण है। यूहन्ना 11:25-26,43-44
9.    मसीह ने केवल परमेश्वर के ही वचन का प्रचार किया। यूहन्ना 8:28
10.  मसीह मूसा के समान मनुष्यों के लिये प्रार्थना करते हैं। निर्गमन 32:30-32; 1तीमुथियुस 2:5
11.  मसीह मूसा के समान परमेश्वर की वाचा का मध्यस्थता करते हैं। निर्गमन 24:4-8; मरकुस 14:24; 1 कुरिन्थियों 11:23-25
12.    मूसा एवं मसीह ने अपने लोगों को दासत्व से छुटकारा दिया है। एक सांसारिक दासत्व से और दूसरा पाप से। इन विषयों को जानने के लिये निर्गमन की पुस्तक पढ़ें, और यशायाह 53; यूहन्ना 8:32-36; गलातियों 5:1
13.    मसीह मूसा के समान इस्राएल (के यहूदा गोत्र) के थे। गिनती 26:59; लूका 3:22-38

दिलचस्पी की बात यह है कि इब्न इसहाक़ जो प्रथम इस्लामी जीवनी लेखकों में से है अपने ग्रन्थ सीरत रसूलल्लाह में कहते हैं कि यीशु के विषय में मूसा ने ऐसा लिखा था।

"जब नजरान के मसीही जन नबी के पास आये तो यहूदी धर्म गुरू भी आये और वे दोनों नबी के सामने एक दूसरे की निंदा की। यहूदी कहे “तुम ग़लत हो” और इंजील को ठुकराये, मसीही जन कहे “तुम ग़लत हो” और मूसा को और तोरा को ठुकराये। तब पारमेश्वर ने उनके विषय में एक आयत भेजा, यहूदी कहते हैं मसीही ग़लत हैं और मसीही कहते हैं यहूदी ग़लत हैं, फिर भी वे अपनी अपनी किताबें पढ़ते हैं, वे नहीं जानते कयामत के दिन दोनों के विवाद का क्या होगा, यानी, दोनों अपनी अपनी किताबों मे पढ़ते हैं कि दूसरे का कहना भी सही है जिसका वे इनकार कर रहें हैं, यहूदी मसीह की इनकार करते हैं जब कि उनकी तोरा में परमेश्वर मूसा के द्वारा कहा कि यीशु को सच्चा जानों, और इंजील में यीशु ने मूसा और तोरा का संपुष्टि की, इस तरह दोनो एक दूसरे को ग़लत ठहराते हैं।" (अल्फ़्रेड गीओम, द लैफ़ आफ़ मुहम्मद, पेज 258)

अन्य मुस्लिम विद्वान, जैसे इब्न कतीर भी इस बात से सहमत होते हैं।

सूरह 61:6 की समीक्षा करते हुए इब्न कतीर कहते हैं “ईसा ने कहा ‘तोरा मेरे आने का आनन्दमय समाचार प्रकट करती है, और मेरा आना तोरा की सच्चाई को प्रकट करता है। मैं मेरे पश्चात आने वाले नबी के विषय में आनन्दमय समाचार देता हूँ। वह अनपढ़, मक्का के रहनेवाले, अरब का नबी, एवं दूत है’।"

मुहम्मद के जिवनी ग्रंथ में इब्न कतीर यह भी कहते हैं कि यीशु मूसा के समान हैं। और व्यवस्थाविवरण 18:18 को मुहम्मद पर लागू करने की कोशिश करते हुए वे कहते हैं

“तोरा की चौथी किताब में एक वचन है जो कहता है “उनके घनिष्ठ संबन्धियों और भाइयों में से एक नबी उन केलिये नियुक्त किया गया है, जो, ए मूसा, तुम्हारे समान है। मैं अपने वचन उसके मुँह में रखूंगा”। यह उनको और सब को स्पष्ट है कि अल्लाह इश्माएल के घराने से मुहम्मद के अलावा किसी को नबी के रूप में नहीं भेजा; वास्तव में इस्राएल के संतान में से, ईसा के सिवाय, कोई और नबी मूसा के समान नहीं है, परंतु यहूदी उसे स्वीकार नहीं किये और वह उनके भाइयों में से नहीं था, और वह अपनी माता के द्वारा उन के संबन्धी था। इस कारण ऊपर कहा गया वचन का अर्थ मुहम्मद पर ही केंद्रित है। (सीरा आफ़ प्रोफ़ेट मुहम्मद, भाग 2 पेज 24)

3. बदवी व्यवस्थाविवरण 33:2 का गलत कल्पना करते हैं कि सीनै, सेईर और पारान क्रमशः यहूदी धर्म, मसीहिय्यत एवं इस्लाम का संकेत करते हैं।

बदवी दावा करते हैं कि सेईर- यीशु का सेवा पलिश्तीन से प्रारंभ होने का संकेत देता है, और परान- मक्का का और मुहम्मद का भविष्यवाणी करने का संकेत देता है। लेकिन यह तात्पर्य ग़लत साबित हो कर एक समस्या को भी पैदा करता है, क्यों कि सेइर और परान, अरब देश में मक्का के पास नहीं परन्तु मिस्र के सिनै प्रायद्वीप में स्थित हैं, जैसे कि कोई भी बाइबल का मानचित्र में देख सकते हैं। यह केवल इच्छाधारी सोच है कि सेईर यीशु की सेवा का और पारान मुहम्मद का भविष्यवाणी करने का संकेत देता है। पारान और मक्का एक ही स्थान का नाम नहीं है और इस बात का प्रमाण बाइबल देता है।

“तब इस्राएली सीनै के जंगल में से निकलकर प्रस्थान करके निकले; और बादल पारान नाम जंगल में ठहर गया।” गिनती 10:12

“उसके बाद उन्हों ने हसेरोत से प्रस्थान करके पारान नाम जंगल में अपने डेरे खड़े किए।” गिनती 12:16

“यहोवा से यह आज्ञा पाकर मूसा ने ऐसे पुरुषों को पारान जंगल से भेज दिया, जो सब के सब इस्राएलियों के प्रधान थे।” गिनती 13:03

“जो बातें मूसा ने यरदन के पार जंगल में, अर्यात्‌सूप के सामने के अराबा में, और पारान और तोपेल के बीच, और लाबान हसरोत और दीजाहाब में, सारे इस्राएलियों से कहीं वे ये हैं।” व्यवस्तविवरण 1:01

इन सभी वचनों में हम यह पाते हैं कि पारान मक्का नहीं बल्कि सीनै के पास स्थित कोई एक जगह का नाम है, क्योंकि मूसा एवं इस्राएली मक्का की तरफ़ कभी भी सफ़र नहीं किये। इस कारण बदवी की कल्पनाएं बाइबल के प्रमाण के प्रकाश में विफल रहती हैं।

दूसरे स्थान में यह आयत (व्यवस्थाविवरण 33:2) परमेश्वर की ओर से इस्राएल के लिये एक आशीष है, जैसे वचन 1 में लिखा गया है। और यह बात इस्लाम के विषय में भविष्यवाणी नहीं है, क्योंकि इस्लाम हमेशा इस्राएलियों केलिये एक काँटे के समान रहा है ना कि आशीष।

बदवी फिर दावा करते हैं कि व्यवस्थाविवरण 33:2, (करोडों पवित्रों के मध्य में से आया) में मुहम्मद मक्का को वश में करने की घटना का भविश्यवाणी है। अंग्रेज़ी बाइबल में इस वचन में “करोडों” शब्द की जगह “दस हजारों” का शब्द उपयोग किया गया है। इस कारण बदवी कहते हैं कि यह बात मुहम्मद का मक्का पर दस हज़ार लोगों की सेना के साथ जंग करके उसे अपने वश में करने की भविश्यवाणी है, जब कि बाइबल में यह वचन खुद परमेश्वर यहोवा के विशय में लिखा गया है।

हम देख चुके हैं कि परान मक्का को दर्शाता नहीं है, इस कारण बदवी के दावे में तर्क नहीं बचता। उसके बावजूद, इब्रानी भाषा में करोडों के लिये जिस शब्द का उपयोग किया गया है उस का मतलब “दस हज़ारों/करोडों” है। यह संख्या परमेश्वर के पवित्र स्वर्गदूतों को दर्शाता है जो अनगिनत हैं।
अन्त में, यह वचन भविष्य के विषय में नहीं बल्कि परमेश्वर का, उस समय इस्राएल के पक्ष में उन्हें मिस्त्र से छुडा़ने अपने करोडों स्वर्गदूतों की सेना के साथ आने को दर्शाता है।

4. बदवी दृढता से कहते हैं कि यशायाह 42:1-13 मुहम्मद के आगमन को सूचित करता है।

संदर्भानुसार इस अध्याय को पढ़ें तो आसानी से समझ में आता है कि यह अध्याय सिर्फ़ मसीह के आगमन के विषय में यशायाह की भविष्यवाणी है। इसी तरह मसीह के परमेश्वर का सेवक होने के विषय में यशायाह की पुस्तक में चार अध्याय हैं। यशायाह 42:1-13; 49:1-9; 50:4-11; 52:13 - 53:12

इन सब भागों को एक बनाकर पढ़ेंगे तो स्पष्ट होता है कि ये वचन यीशु मसीह के विषय में लिखी गयीं हैं। अध्याय 53 को पढ़ने पर यह बात और भी निश्चय हो जाती है, क्योंकि वहाँ यीशु मनुष्यों के कारण सेवक बनना, सलीब पर मृत्यु पाना, पुनरुत्थान होने के विषय में लिखी गयी है।

यशायाह 42:1 यीशु को दास/सेवक के रूप में निर्धारित करने का एक और प्रमाण है। यह वचन घोषित करता है कि परमेश्वर का आत्मा उस दास पर वास करेगा। इसी तरह यशायाह के कई सारे अध्याय यीशु को दास के रूप में सिद्ध करते हैं।

“तब यिशै के ठूंठ में से एक डाली फूट निकलेगी और उसकी जड़ में से एक शाखा निकलकर फलवन्त होगी। और यहोवा का आत्मा, बुद्धि और समझ का आत्मा, युक्ति और पराक्रम का आत्मा, और ज्ञान और यहोवा के भय का आत्मा उस पर ठहरा रहेगा। और उसको यहोवा का भय सुगन्ध-सा भाएगा।। वह मुंह देखा न्याय न करेगा और न अपने कानों के सुनने के अनुसार निर्णय करेगा; परन्तु वह कंगालों का न्याय धर्म से, और पृथ्वी के नम्र लोगों का निर्णय खराई से करेगा; और वह पृथ्वी को अपने वचन के सोंटे से मारेगा, और अपने फूँक के झोंके से दुष्ट को मिटा डालेगा। उसकी कटि का फेंटा धर्म और उसकी कमर का फेंटा सच्चाई होगी।” यशायाह 11:1-5

“उस समय यिशै की जड़ देश देश के लोगों के लिये एक झण्डा होगी; सब राज्यों के लोग उसे ढूँढ़ेंगे, और उसका विश्रमस्थान तेजोमय होगा।” यशायाह 11:10

“प्रभु यहोवा का आत्मा मुझ पर है, क्योंकि यहोवा ने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया है। और मुझे इसलिये भेजा है कि खेदित मन के लोगों को शान्ति दूँ; कि बन्दियों के लिये स्वतंत्रता का और कैदियों के लिये छुटकारे का प्रचार करूँ;” यशायाह 61:1-2

यशायाह 11:1-2 में सेवक को (जिसके विषय में भविष्यवाणी की गयी है) यिशै के ठूंठ यानी वंशज के रूप में बतलाया गया है। यिशै तो दाऊद राजा का पिता था और यह वचन सूचित करता है कि वह दास दाऊद के घराने से आयेगा।(रूत 4:22, 1शमूएल 16:1-3; मत्ती 1:6)

यीशु दाऊद के घराने का है ना कि मुहम्मद; यीशु पर यहोवा का आत्मा उतरा था (बपतिस्मा के समय) ना कि मुहम्मद पर। वास्तव में यीशु खुद कहते हैं कि वह यशायाह 61:1-2 को पूर्ण करने आया।

“और वह नासरत में आया, जहां पाला पोसा गया या; और अपनी रीति के अनुसार सब्‍त के दिन आराधनालय में जा कर पढ़ने के लिये खड़ा हुआ। यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्‍तक उसे दी गई, और उस ने पुस्‍तक खोलकर, वह जगह निकाली जहां यह लिखा था: ‘प्रभु का आत्मा मुझ पर है, इसलिये कि उसने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया है, और मुझे इसलिये भेजा है, कि बन्दियों को छुटकारे का और अंधों को दृष्‍टि पाने का सुसमाचार प्रचार करूँ और कुचले हुओं को छुड़ाऊं। और प्रभु के प्रसन्न रहने के वर्ष का प्रचार करूँ।’ तब उस ने पुस्‍तक बन्‍द करके सेवक के हाथ में दे दी, और बैठ गया; और आराधनालय के सब लोगों की आँखें उस पर लगी यीं। तब वह उनसे कहने लगा, ‘आज ही यह लेख तुम्हारे सामने पूरा हुआ है’।” लूका 4:16-21

5. बदवी यशायाह 21:13-17 में बद्र के युद्ध का भविष्यवाणी देखते हैं।

पुनः, इस वचन को सन्दर्भानुसार ध्यानपूर्वक पढ़ने पर समझ लेते हैं कि इस आयत में मुहम्मद और बद्र के युद्ध विषय में कुछ भी लिखी नहीं गयी है। किन्तु अधिक उचित रूप से परमेश्वर का ईश्वरीय दंड, अश्शूर और बाबुल के महा सेना के रूप में अरब पर आने को दर्शाता है।

ईसा पूर्व सन 732 में अश्शूर की सेना ने अरब पर कब्ज़ा किया। और उसके पश्चात बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने ईसा पूर्व सन 599-598 में केदार पर विजयी हुआ (यिर्मयाह 49:28-33)। साथ ही साथ 16 वा वचन इस भविष्यवाणी के पूरा होने के समय को स्पष्ट रूप से बताता है।

“क्योंकि प्रभु ने मुझ से योंकहा है, मजदूर के वर्षों के अनुसार एक वर्ष में केदार का सारा विभव मिटाया जाएगा।”

यह अरब पर अश्शूर का आक्रमण को सूचित करता है जो ईसा पूर्व सन 732 में हुआ। और यह समय यशायाह की सेवकाई के समय से मिलता है।
इस कारण यह वचन को क़रीब क़रीब हज़ार साल बाद घटने वाली घटना से जोड़ना पूर्णतया अनुचित है।

6. बदवी को लगता है कि यशायाह 28:11 में क़ुरआन का प्रकटीकरण के विषय में एक भविष्यवाणी लिखी हुई है जो ‘अन्य भाषा’ में है।

क़ुरआन के विशय में भविष्यवाणी होने से बहुत दूर, यशायाह तो केवल एप्रैम पर अश्शूर का आक्रमण के विषय में बता रहा है। परमेश्वर उनकी दुष्टता के कारण उन पर दंड लाया। परमेश्वर ने अपने दंड को अन्य देश के अन्य भाषा बोलने वालों के द्वारा अपने अवज्ञाकारी संतान को अपने अधीन बनाने केलिये एप्रैम पर लाया। इस से बढ़कर यह बात सदियों पहले मूसा के धर्मशास्त्र में पहले ही बतायी गयी है।


“यहोवा तुझ को उस राजा समेत, जिस को तू अपने ऊपर ठहराएगा, तेरी और तेरे पूर्वजों से अनजानी एक जाति के बीच पहुंचाएगा; और उनके मध्य में रहकर तू काठ और पत्यर के दूसरे देवताओं की उपासना और पूजा करेगा।” व्यवस्थाविवरण 28:36.

“तेरे बेटे-बेटियां तो उत्पन्न होंगे, परन्तु तेरे रहेंगे नहीं; क्योंकि वे बन्धुआई में चले जाएंगे।” व्यवस्थाविवरण 28:41   

“यहोवा तेरे विरूद्ध दूर से, वरन पृय्वी के छोर से वेग से उड़नेवाले उकाब सी एक जाति को चढ़ा लाएगा जिसकी भाषा तू नहीं समझेगा; उस जाति के लोगों का व्यवहार क्रूर होगा, वे न तो बूढ़ों का मुंह देखकर आदर करेंगे, और न बालकों पर दया करेंगे; और वे तेरे परमेश्वर यहोवा के दिए हुए सारे देश के सब फाटकों के भीतर तुझे घेर रखेंगे; वे तेरे सब फाटकों के भीतर तुझे उस समय तक घेरेंगे, जब तक तेरे सारे देश में तेरी ऊंची ऊंची और दृढ़ शहरपनाहें जिन पर तू भरोसा करेगा गिर न जाएं।” व्यवस्थाविवरण 28:49-50,52

इस से पता लगता है कि इन सब बातों में इस्लाम के पास ठोस तर्क नहीं है।

7. बदवी का तर्क है कि यीशु का ‘पाराक्लेटोस’ को भेजने का प्रतिज्ञा मुहम्मद के आगमन का सूचना है।

यीशु के इस प्रतिज्ञा को संदर्भानुसार अध्ययन करें तो पता चलता है कि वह पवित्र आत्मा को उंडेलना के विषय में लिखी गई है।

  1. पाराक्लेटोस मनुष्यों के आँखों को दिखाई नहीं देता परन्तु शिष्यों में वास करेगा (यूहन्ना 14:17)। यह मुहम्मद के विषय में नहीं हो सकता क्योंकि लोगों ने उसे देखा है। इस से बढ़कर पाराक्लेटोस एक ही समय में कलीसिया के हर एक के हृदय में वास करता है, क्योंकि वह अशारीरिक और सर्वव्यापी आत्मा है। यह परमेश्वर के गुण होने के कारण पाराक्लेटोस को परमेश्वर माना गया है।
  2. पाराक्लेटोस पवित्र आत्मा है (यूहन्ना 14:26)। अनुमोदित इस्लाम के अनुसार पवित्र आत्मा जिब्राईल स्वर्ग दूत है। यह विषय बदवी के तर्क को झूटा साबित करता है क्योंकि मुहम्मद जिब्राईल नहीं है।
  3.  बाइबल के अनुसार पाराक्लेटोस यीशु मसीह की महिमा करता है। परन्तु मुहम्मद अल्लाह की महिमा किया। बदवी के अनुसार आगर मुहम्मद पाराक्लेटोस है, तो यीशु अल्लाह होना चाहिये। यीशु के प्रतिज्ञा के अनुसार पाराक्लेटोस उतरा, लेकिन 600 वर्श के पश्चात नहीं किन्तु यीशु के स्वर्गारोहण के ठीक बाद (प्रेरितों 2:1-33)।

8. बदवी का कहना है कि मत्ती 21:19-21,43 के अनुसार इस्राएल से परमेश्वर का रज्य छीन कर फलवन्त देश को दिया जायेगा, और वह मुस्लिम देश है।

इस से बढ़कर सच्चई से दूर और कोई बात नहीं हो सकती है। यह अन्य जातियों को परमेश्वर के वाचा के रिश्ते में लाने के विषय में है ना कि मुस्लिम या मुहम्मद के विषय में!

“अतः मैं कहता हूँ क्‍या उन्‍होंने इसलिये ठोकर खाई कि गिर पड़े? कदापि नहीं! परन्‍तु उनके गिरने के कारण अन्यजातियों को उद्धार मिला, कि उन्‍हें जलन हो। इस्लिये यदि उनका गिरना जगत के लिये धन और उन की घटी अन्यजातियों के लिये सम्पत्ति का कारण हुआ, तो उनकी भरपूरी से क्या कुछ न होगा।” रोमियों 11:11-12

“इस कारण स्मरण करो कि तुम जो शारीरिक रीति से अन्यजाति हो (और जो लोग शरीर में हाथ के किए हुए खतने से खतनावाले कहलाते हैं, वे तुम को खतनारिहत कहते हैं)। तुम लोग उस समय मसीह से अलग, और इस्राएल की प्रजा के पद से अलग किए हुए, और प्रतिज्ञा की वाचाओं के भागी न थे, और आशाहीन और जगत में ईश्वररिहत थे। पर अब मसीह यीशु में तुम जो पहले दूर थे, मसीह के लहू के द्वारा निकट हो गए हो। क्‍योंकि वही हमारा मेल है, जिसने दोनों को एक कर लिया और अलग करनेवाली दीवार को जो बीच में थी ढा दिया। और अपने शरीर में बैर अर्यार वह व्यवस्था जिसकी आज्ञाएँ विधियों की रीति पर यीं, मिटा दिया कि दोनों से अपने में एक नया मनुष्य उत्‍पन्न कर के मेल करा दे। और क्रूस पर बैर को नाश करके इस के द्वारा दानों को एक देह बनाकर परमेश्वर से मिलाए। और उस ने आकर तुम्हें जो दूर थे, और उन्‍हें जो निकट थे, दानों को मेलमिलाप का सुसमाचार सुनाया। क्‍योंकि उस ही के द्वारा हम दानों की एक आत्मा में पिता के पास पहुँच होती है।” इफ़िसियों 2:11-18

अंत में:

“और वे यह नया गीत गाने लगे, कि तू इस पुस्‍तक के लेने, और इसकी मुहरें खोलने के योग्य है; क्‍योंकि तू ने वध होकर अपने लहू से हर एक कुल, और भाषा, और लोग, और जाति में से परमेश्वर के लिये लोगोंको मोल लिया है। और उन्‍हें हमारे परमेश्वर के लिये एक राज्य और याजक बनाया; और वे पृथ्वी पर राज्य करते हैं।” प्रकाशितवाक्य 5:9-10

9. बदवी मत्ती 21:42,44 आयत के “ठुकराया गया पत्थर” को मुहम्मद केलिये भविष्यवाणी के रुप में देखते हैं।

“ठुकराया गया पत्थर” मुहम्मद को नहीं बल्कि यहूदियों के द्वारा यीशु को मसीह के रूप में ठुकराने को दर्शाता है।

“तो तुम सब और सारे इस्राएली लोग जान लें कि यीशु मसीह नासरी के नाम से जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया, और परमेश्वर ने मरे हुओं में से जिलाया, यह मनुष्य तुम्हारे सामने भला चंगा खड़ा है। यह वही पत्यर है जिसे तुम राजमिस्त्रियोंने तुच्‍छ जाना और वह कोने के सिरे का पत्थर हो गया।” प्रेरितों 4:10-11

“इसलिये तुम अब विदेशी और मुसाफ़िर नहीं रहे, परन्‍तु पवित्र लोगों के संगी स्‍वदेशी और परमेश्वर के घराने के हो गए। और प्रेरितों और भविष्यद्वक्ताओं की नींव पर, जिस के कोने का पत्थर मसीह यीशु स्वयं ही है, बनाए गए हो।” इफ़िसियों 2:19-20

“उसके पास आकर, जिसे मनुष्यों ने तो निकम्मा ठहराया परन्‍तु परमेश्वर के निकट चुना हुआ, और बहुमूल्य जीवता पत्थर है। तुम भी आप जीवते पत्थरों के समान आत्मिक घर बनते जाते हो, जिससे याजकों का पवित्र समाज बनकर, ऐसे आत्मिक बलिदान चढ़ाओ जो यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर  ग्राह्य हैं। इस कारण पवित्र शास्‍त्र में भी आया है : "देखो, मैं सिय्योन में कोने के सिरे का चुना हुआ और बहुमूल्य पत्थर धरता हूं : और जो कोई उस पर विश्वास करेगा, वह किसी रीति से लज्जित नहीं होगा"। अतः तुम्हारे लिये जो विश्वास करते हो वह तो बहुमूल्य है, पर जो विश्वास नहीं करते उनके लिये "जिस पत्यर को राजमिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था, वही कोने का सिरा हो गया"। और "ठेस लगने का पत्थर और ठोकर खाने की चट्टान हो गया है," क्‍योंकि वे तो वचन को न मानकर ठोकर खाते हैं और इसी के लिये वे ठहराए भी गए थे।” 1 पतरस 2:4-8

10. बदवी यूहन्न 1:19-23 का उपयोग करके यह साबित करना चाहते हैं कि यहूदी यीशु के समय में तीन लोगों का आगमन का आशा रखते थे।

1. मसीह 2. एलिय्याह 3. वह प्रतिज्ञा किया हुवा नबी।

इस बात को लेकर बदवी कहते हैं कि वे इश्माएलियों में से मूसा के समान नबी का आशा रखते थे। बदवी कहते हैं कि मसीह के आगमन के पश्चात भी वे एक नबी का राह देखते थे, जिसका मतलब यह है कि नबी का आगमन उस समय तक नही हुआ। सारांश यही है कि वह नबी मुहम्मद है क्योंकि वह एक ही यीशु के बाद आया है।

इस ग़लत धारणा के विरोध में तीन तरह के तर्क हैं :

1.    अगर इस्राएल के लोग आशा रखते थे कि नबी इश्माएलियों में से आयेगा तो वे यूहन्ना से, जो इस्राएली था, क्यों पूछे कि वही स्वयं वह नबी है, जिस का उन्हें इन्तज़ार है? इस्राएलियों का यूहन्ना से पुछ्ना ही एक प्रमाण है कि वे नबी को इस्राएलियों में से ही आने का आशा रखते थे।
2.    यहाँ बाइबल का अनुच्छेद यह नहीं बताता है कि यीशु के समय में नबी का आगमन नहीं हुआ! किन्तु ये वचन सूचित करते हैं कि यीशु की सेवकाई का आरम्भ तक मूसा का समान कोई नबी इस्राएल में नहीं था। इस बात का स्पष्टीकरण महत्वपूर्ण है कि जिस समय यूहन्ना से अपने नबी होने की पहचान के विषय में पूछा गया उस समय तक यीशु अपनी सेवा का अरम्भ नहीं किया था। जब यीशु अपनी सेवकाई शुरू की तब लोग जान गये कि यही वह नबी है जिसके विषय में मूसा ने कहा था।

“तब जो आश्‍चर्यकर्म उसने कर दिखाया उसे वे लोग देखकर कहने लगे, कि वह भविष्यद्वक्ता जो जगत में आनेवाला था निश्‍चय यही है।” यूहन्ना 6:14

3.    यह कहना ग़लत होगा कि ये यहूदी लोग विश्वसनीय एवं अचूक जन हैं, क्योंकि वे कई बार परमेश्वर के वचन का सही अर्थ समझने में चूक किये थे और गलत निष्कर्ष तक पहुंच चुके थे। उदाहरण केलिये वे नहीं समझ पाये कि मसीह गलील से आयेगा।” दूसरों ने कहा, "यह मसीह है।" परन्‍तु कुछ ने कहा, "क्‍यों? क्‍या मसीह गलील से आएगा?” यूहन्ना 7:41

“उन्‍होंने उसे उत्तर दिया, "क्‍या तू भी गलील का है? ढूँढ़ और देख कि गलील से कोई भविष्यद्वक्ता प्रगट नहीं होने का।” यूहन्ना 7:52

तथापि मसीह के आगमन के 800 वर्श पहले यशायाह नबी ने इस तरह से भविष्यवाणी की :

“तौभी संकट-भरा अन्धकार जाता रहेगा। पहले तो उसने जबूलून और नप्ताली के देशों का अपमान किया, परन्तु अन्तिम दिनों में ताल की ओर यरदन के पार की अन्यजातियों के गलील को महिमा देगा.….क्योंकि हमारे लिये एक बालक उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्र दिया गया है; और प्रभुता उसके काँधे पर होगी, और उसका नाम अद्‌भुत युक्ति करनेवाला पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा।” यशायाह 9:1,6

योनतान के अरामी भाषा के तर्गुम के अनुसार यह वचन मसीह के विषय में एक भविष्यवाणी है। इस कारण से उन यहूदियों को (जो अक्सर अपने शास्त्रों का अर्थ ठीक तरह समझ नहीं पाते थे या सही निष्कर्ष तक पहुंच नहीं पाते थे) अधिप्रमाणित समझ कर बदवी ने गलत किया और उन वचनों को मुहम्मद पर लागू कर के बदवी ने और एक बार यह साबित कर दिखाया कि बाइबल को सही समझने में वह कितना चूक गया है।

11. एक और कथित भविष्यवाणी जो मुहम्मद के विषय में है, मुस्लिमों के अनुसार, यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला के ओर से है।

“मैं तो पानी से तुम्हें मन फिराव का बपतिस्मा देता हूं, परन्‍तु जो मेरे बाद आनेवाला है, वह मुझ से शक्तिशाली है, मैं उसकी जूती उठाने के योग्य नहीं, वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा।” मत्ती 3:11

मुस्लिम लोगों की ग़लत कल्पना यह है कि निम्न कारणों की वजह से यह वचन मुहम्मद के विषय में ही कहा जा सकता है ना कि यीशु के।
1.यीशु का आगमन यूहन्ना के पश्चात नहीं हुआ बल्कि वे दोनों समकालीन थे।
2.अगर यूहन्ना यीशु के विषय में बता रहा होता तो वह यीशु का अनुयायी क्यों नही बना जब यीशु यूहन्ना से अधिक महान था?
3. एक समय पर यूहन्ना यीशु पर संदेह भी किया और अपने दो अनुयायियों को भेजा ताकि वह जान सके कि यीशु वही नबी है जिसका उसे आशा है!

इन कारणों के अनुसार मुस्लिम कहतें है कि यूहन्ना ने मुहम्मद के विषय में ही भविष्यवाणी किया था।

हम इन तीन विषयों का उत्तर देंगे!

1.    वे दोनों समकालीन होने के बावजूद यीशु ने तब तक अपनी सेवा आरंभ नहीं किया जब तक यूहन्ना अपनी सेवा का अरम्भ कर चुका हो। मसीह यूहन्ना के बाद ही आया। (मत्ती 3:1,3,16; 4:12,17)
2.    यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का काम यह नहीं था कि यीशु का अनुयायी बने, बल्कि उसका काम यह था कि वह मसीह का मार्ग तैयार करे (यूहन्ना 1:23)। इसके अलावा यीशु गलील में सेवा आरम्भ करने से कुछ समय पहले यूहन्ना को बंदी बना लिया गया था, जिस कारण यूहन्ना यीशु का अनुयायी बनना असम्भव था। (मत्ती 4:12-17)
३.    मसीह ने यूहन्ना को आश्वासन दिया कि वह वही नबी है जिसके आगमन का आशा रखी जा रही है और यशायाह 29:18 और 35:4-6 का उल्लेख भी किया।

“यीशु ने उत्तर दिया, कि जो कुछ तुम सुनते हो और देखते हो, वह सब जाकर यूहन्ना से कह दो। कि अंधे देखते हैं और लंगड़े चलते फिरते है, कोढ़ी शुद्ध किए जाते हैं और बहिरे सुनते हैं, मुर्दे जिलाए जाते हैं, और कंगालों को सुसमाचार सुनाया जाता है। और धन्य है वह, जो मेरे कारण ठोकर न खाए।” मत्ती 11:4-6

मुस्लिम कह सकते हैं कि यूहन्ना जो पवित्र आत्मा से भरपूर था पहले ही मसीह के विषय में जान गया होता और संदेह नहीं करता। यह तर्क ग़लत है क्योंकि बाइबल नहीं बताती है कि नबियों के पास किसी विशिष्ट विषय के बारे में सम्पूर्ण ज्ञान होना ही चाहिये, परन्तु बाइबल के अनुसार नबियों के पास उन्ही विषयों का ज्ञान होगा जो परमेश्वर उन्हें देता है। (1पतरस1:10-12; मत्ती 24:36; प्रेरितों 1:6-8)

और पवित्र आत्मा से भरे होने का अर्थ यह नहीं कि कोई भी नबी किसी भी ग़लती नही करता, बल्कि उसका अर्थ इतना ही है कि वह परमेश्वर के वचन का प्रचार अचूक होकर सुनाने के लिये परमेश्वर का मार्गदर्शन उसे पवित्र आत्मा की ओर से मिलेगा।

इसके पश्चात यूहन्ना खुद इस बात का प्रमाण देता है कि यीशु वही है जिसका इंतज़ार किया जा रहा है।

“दूसरे दिन उसने यीशु को अपनी ओर आते देखकर कहा, "देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है जो जगत के पाप उठा ले जाता है। यह वही है जिसके विषय में मैंने कहा था, कि एक पुरूष मेरे पीछे आता है जो मुझ से श्रेष्‍ठ है, क्‍योंकि वह मुझ से पहले या।.......मैं तो उसे पहिचानता नहीं था, परन्‍तु जिस ने मुझे जल से बपतिस्मा देने को भेजा, उसी ने मुझ से कहा, कि जिस पर तू आत्मा को उतरते और ठहरते देखे, वही पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देनेवाला है। और मैंने देखा, और गवाही दी है कि यही परमेश्वर का पुत्र है।” यूहन्ना 1:29-30, 33-34

“अवश्य है कि वह बढ़े और मैं घटूं।।” यूहन्ना 3:30

और भी विस्मयकारी बात यह है कि कु़रआन भी इस बात को मानती है कि यूहन्ना यीशु का अग्रवर्ती/आगे जाने वाला है (कु़रआन सूरह 3:39)

अंत में, मसीह के पश्चात नबियों के आगमन का विचार बाइबल में पूर्ण रूप से नकारा गया है। पवित्र शास्त्र सुस्पष्ट है कि मुहम्मद नहीं बल्कि मसीह, मनुष्यों के लिये परमेश्वर का अंतिम इलहाम तथा परमेश्वर के अनुमोदन का छाप/मोहर है। यीशु इस बात का ज़िक्र मरकुस 12:1-11 में करते हुए एक दृष्टान्त सुनाते हैं। इस दृष्टान्त में यीशु परमेश्वर के अनुपम पुत्र एवं उसकी विरासत का अधिकार, सृष्टि से पहले उसका अस्तित्व एवं परमेश्वर की ओर से अंतिम सन्देश वाहक होने का विवरण देते हैं।

"फिर वह दृष्‍टान्‍त में उनसे बातें करने लगा कि किसी मनुष्य ने दाख की बारी लगाई, और उसके चारोंओर बाड़ा बाँधा, और रस का कुंड खोदा, और गुम्मट बनाया; और किसानोंको उसका ठेका देकर परदेश चला गया। फिर फल के मौसम में उसने किसानों के पास एक दास को भेजा कि किसानों से दाख की बारी के फलों का भाग ले। पर उन्‍होंने उसे पकड़कर पीटा और छूछे हाथ लौटा दिया। फिर उसने एक और दास को उनके पास भेजा; उन्‍होंने उसका सिर फोड़ डाला और उसका अपमान किया। फिर उसने एक और को भेजा; और उन्‍होंने उसे मार डाला। तब उसने और बहुतों को भेजा; उनमें से उन्‍होंने कुछ को पीटा, और कुछ को मार डाला। अब एक ही रह गया था, जो उसका प्रिय पुत्र या; अन्‍त में उसने उसे भी उनके पास यह सोचकर भेजा कि वे मेरे पुत्र का आदर करेंगे। पर उन किसानों ने आपस में कहा, ‘यही तो वारिस है; आओ, हम इसे मार डालें, तब मीरास हमारी हो जाएगी।’ और उन्‍होंने उसे पकड़कर मार डाला, और दाख की बारी के बाहर फेंक दिया। इसलिये दाख की बारी का स्‍वामी क्‍या करेगा? वह आकर उन किसानों का नाश करेगा, और दाख की बारी दूसरों को दे देगा। क्‍या तुम ने पवित्र शास्‍त्र में यह वचन नहीं पढ़ा, कि जिस पत्यर को राजमिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था, वही कोने का सिरा हो गया; यह प्रभु की ओर से हुआ, और हमारी दृष्‍टि मे अद्भुत है।" मरकुस 12:1-11

“नाशमान भोजन के लिये परिश्रम न करो, परन्‍तु उस भोजन के लिये जो अनन्‍त जीवन तक ठहरता है, जिसे मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा; क्‍योंकि पिता अर्थात परमेश्वर ने उसी पर छाप लगाई है।” यूहन्ना 6:27

इन वचनों के प्रकाश में मसीह परमेश्वर के ओर से नबियों का छाप, अतः जगत के लिये परमेश्वर के प्रकटीकरण का अंत है।
इसके बावजूद पवित्र शास्त्र में मसीह के द्वारा नबियों को लोगों के पास भेजे जाने का उल्लेख किया गया है।

“इसलिये देखो, मैं तुम्हारे पास भविष्यद्वक्ताओं और बुद्धिमानों और शास्‍त्रियों को भेजता हूं; और तुम उनमें से कुछ को मार डालोगे और क्रूस पर चढ़ाओगे, और कुछ को अपने आराधनालयों में कोड़े मारोगे और एक नगर से दूसरे नगर में खदेड़ते फिरोगे।” मत्ती 23:34

निष्कर्ष यह है कि परमेश्वर के इलहाम का अंत और नबियों का छाप यीशु है. परन्तु यीशु मसीह उनके नाम से अपने ही अधिकार से नबेयों को भेजते हैं ताकि उस इलहाम को लोगों तक पहुंचाये जो यीशु को पिता परमेश्वर ने दिया है।

"पर हम में से हर एक को मसीह के दान के परिमाण के अनुसार अनुग्रह मिला है।.......उसने कुछ को प्रेरित नियुक्त करके, और कुछ को भविष्यद्वकता नियुक्त करके, और कुछ को सुसमाचार सुनानेवाले नियुक्त करके, और कुछ को रखवाले और उपकेशक नियुक्त करके दे दिया। जिस से पवित्र लोग सिद्ध हो जाएं, और सेवा का काम किया जाए और मसीह की देह उन्नति पाए, जब तक कि हम सब के सब विश्वास और परमेश्वर के पुत्र की पहिचान में एक न हो जाएं, और एक सिद्ध मनुष्य न बन जाएं और मसीह के पूरे डील-डौल तक न बढ़ जाएं। ताकि हम आगे को बालक न रहें जो मनुष्यों की ठग-विद्या और चतुराई से, उन के भ्रम की युक्तियों के और उपकेश के हर एक झोंके से उछाले और इधर-उधर घुमाए जाते हों। वरन प्रेम में सच्‍चाई से चलते हुए सब बातों में उसमें जो सिर है, अर्थात मसीह में बढ़ते जाएं, जिससे सारी देह, हर एक जोड़ की सहायता से एक साथ मिलकर और एक साथ गठकर, उस प्रभाव के अनुसार जो हर एक अंग के ठीक-ठीक कार्य करने के द्वारा उस में हाता है, अपने आप को बढ़ाती है कि वह प्रेम में उन्नति करती जाए।" इफ़िसियों 4:7, 11-16

इस कारण यीशु के पश्चात अगर कोई नबी आयेगा तो वह यीशु के नाम से और उसके समाचार को लोगों तक पहुंचाने ही आयेगा।

निष्कर्ष :

बदवी की पुस्तिका का अध्ययन करके कोई भी इस निष्कर्ष तक पहुंच सकता है कि यह पुस्तिका तार्किक ग़लतियों से, मूल शब्दों की ग़लत व्याख्या से, तथा प्रासंगिक ग़लतियों से भरी हुई है। यह पुस्तिका केवल इसलिये लिखी गयी है ताकि ज़बरदस्ती से बाइबल में मुहम्मद की भविष्यवाणियाँ साबित करें जो बाइबल में मौजूद नहीं हैं।


हम पाठकों को चुनौति देतें है कि वे लेखनों के वचनों को अपने संदर्भ के भीतर अध्ययन करके खुद निष्कर्ष पर पहुंचें कि यदि बाइबल मुहम्मद के विषय में सच में भविष्यवाणी करती है या नहीं।

इस का मूल रचना अंग्रेज़ी में पढ़िए - Muhammad in the Bible


खंडन मंडन

आन्सरिंग इस्लाम हिन्दी