खुदा कैसा मर सकता है?

इस्लामी सवाल :-

अगर यीशु खुदा हैं तो खुदा कैसा मर सकता है? जब यीशु क़ब्र में तीन दिन थे तो दुनिया कौन चला रहा था?

मसीही जवाब :-

इस सवाल से पता चलता है कि सवाल करने वाले के पास मसीही विश्वास के बारे में सही जानकारी बिल्कुल नहीं है। यानी वह ज़रूर यह नहीं जानता है कि मसीही लोग खुदा के बारे में क्या ईमान या खयाल रखते हैं?

1) मसीही लोग सिर्फ़ एक खुदा को मानते हैं, जिस में तीन व्यक्ति हैं। तो अगर एक व्यक्ति मर गया तो भी बाकी दो व्यक्ति दुनिया को चला सकते हैं। (इस तरह का जवाब हम इसलिए दिये हैं क्योंकि हम उन मुसल्मानों की बेवक़ूफ़ी को ज़ाहिर करना चाहते हैं, जो इस तरह के ग़लत सवाल पूछते हैं।)

2) फिर मसीह जो दूसरे व्यक्ति हैं, त्रियेकता के अंदर वह खुदा है और मनुष्य बनकर आये और मनुष्य होने के नाते मरे लेकिन खुदा होने के नाते नहीं। मगर खुदा होने के नाते यीशु ऐसा कहते हैं -

“यीशु ने उन को उत्तर दिया कि इस मन्दिर को ढा दो, और मैं उसे तीन दिन में खड़ा कर दूंगा। यहूदियों ने कहा, ‘इस मन्दिर के बनाने में छियालीस वर्ष लगे हें, और क्या तू उसे तीन दिन में खड़ा कर देगा’?” (यूहन्ना 2:19-21)

इसका मतलब यह है कि मुझे मार डालो और मैं खुद जीवित हो कर मेरे देह को तीसरे दिन खड़ा कर दूँगा जो तुम्हारे लिए परमेश्वर का मन्‍दिर है। यहाँ पर हम देख सकते हैं कि यीशु खुदा नहीं होते तो वह खुद ही को मुर्दों में से जीवित नहीं कर सकते थे।

3) यह सवाल करने वाला अपने आप को मुसलमान साबित नहीं करता बल्कि नास्तिक, क्योंकि वह समझता है कि मरने के बाद जीवन समाप्त हो जाता है, जो इस्लाम के ख़िलाफ़ है। और इस तरह के बेवुक़ूफ़ी का सावाल पूछकर वह इस्लाम का ही तौहीन या अपमान करके अपने आप को एक नास्तिक साबित करता है।

4) और चौथी बात यह है कि यह सवाल करने वाला इतना भी नहीं जानता कि बाइबल में मौत का क्या अर्थ है।

क्योंकि बाइबल दो प्रकार के मौत के बारे में बताती है।

(I). आत्मिक मौत -

इसका अर्थ है, कोई एक व्यक्ति जब परमेश्वर की संगति से दूर हो जाता है, तौभी वह अपने शरीर में जीवित रह सकता है।

उदाहरण केलिए -

तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को लेकर अदन की वाटिका में रख दिया, कि वह उसमें काम करे और उसकी रक्षा करे। और यहोवा परमेश्वर ने आदम को यह आज्ञा दी, ‘‘तू वाटिका के सब वृक्षों का फल बिना खटके खा सकता है; पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, उसका फल तू कभी न खाना : क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाएगा उसी दिन अवश्य मर जाएगा’’ (उत्पत्ति 2:15-17)

यहोवा परमेश्वर ने जितने बनैले पशु बनाए थे, उन सब में सर्प धूर्त या, उस ने स्त्री से कहा, ‘‘क्या सच है कि परमेश्वर ने कहा, ‘तुम इस वाटिका के किसी वृक्ष का फल न खाना’?’’  स्त्री ने सर्प से कहा, ‘इस वाटिका के वृक्षों के फल हम खा सकते हैं; पर जो वृक्ष वाटिका के बीच में है, उसके फल के विषय में परमेश्वर ने कहा है कि न तो तुम उसको खाना और न उसको छूना, नहीं तो मर जाओगे’। तब सर्प ने स्त्री से कहा, ‘तुम निश्चय न मरोगे, वरन परमेश्वर आप जानता है, कि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आँखें खुल जाएंगी, और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे’। अतः जब स्त्री ने देखा कि उस वृझ का फल खाने के लिए अच्छा, और देखने में मनभाऊ, और बुद्धि देने के लिये चाहनेयोग्य भी है; तब उसने उसमें से तोड़कर खाया, और अपने पति को भी दिया, और उसने भी खाया। (उत्पत्ति 3:1-6)

और फिर लिखा हुआ है -

फियहोवा परमेश्वर ने कहा, ‘मनुष्य भले बुरे का ज्ञान पाकर हम में से एक के समान हो गया है : इसलिये अब ऐसा न हो कि वह हाथ बढ़ाकर जीवन के वृझ का फल भी तोड़ के खा ले और सदा जीवित रहे’। इसलिये यहोवा परमेश्वर ने उसको अदन की वाटिका में से निकाल दिया कि वह उस भूमि पर खेती करे जिस में से वह बनाया गया था। इसलिये आदम को उसने निकाल दिया और जीवन के वृक्ष के मार्ग का पहरा देने के लिये अदन की वाटिका के पूर्व की ओर करूबों को, और चारों ओर घूमनेवाली ज्वालामय तलवार को भी नियुक्त कर दिया। (उत्पत्ति 3:22-24)

हम यहाँ देखते हैं कि आदम और उसकी पत्नी तो वह फल खाए मगर तुरंत मरे नहीं, बल्कि खुदा ने उन्हें अपनी उपस्थिति से निकाल दिया। इस के बारे में ऐसा लिखा हुवा है -

क्योंकि तू ऐसा ईश्वर नहीं जो दुष्टता से प्रसन्न हो; बुराई तेरे साथ नहीं रह सकती। घमंडी तेरे सम्मुख खड़े होने न पाएँगे; तुझे सब अनर्थकारियों से घृणा है। तू उनको जो झूठ बोलते हैं नष्ट करेगा; यहोवा तो हत्यारे और छली मनुष्य से घृणा करता है। (भजन संहिता 5:4-6)

उसने तुम्हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापोंके कारण मरे हुए थे। जिन में तुम पहले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के हाकिम अर्थात् उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो अब भी आज्ञा न माननेवालों में कार्य करता है। इनमें हम भी सब के सब पहले अपने शरीर की लालसाओं में दिन बिताते थे, और शरीर और मन की इच्छाएँ पूरी करते थे, और अन्य लोगों के समान स्‍वभाव ही से क्रोध की सन्‍तान थे। परन्‍तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है, अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उसने हम से प्रेम किया, जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे तो हमें मसीह के साथ जिलाया (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है)। (इफ़िसयों की पत्री 2:1-5)

फिर इस के बारे में यीशु ने भी ऐसा कहा है -

एक और चेले ने उससे कहा, ‘हे प्रभु, मुझे पहले जाने दे कि अपने पिता को गाड़ दूँ’। यीशु ने उससे कहा, ‘तू मेरे पीछे हो ले, और मुरदों को अपने मुरदे गाड़ने दे’। (मत्ती 8:21-22)

इन सब वचनों से पता चलता है कि जो यीशु पर ईमान नहीं रखते हैं, वे अपने गुनाहों में मरे हुए हैं। मगर उनका जीवन समाप्त तो नहीं हुआ है, मगर वह खुदा की उपस्थिति से दूर हैं

 

(II). जिस्मानी (शारीरिक) मौत :-

हम बाइबल में देखते हैं कि शारीरिक मौत का अर्थ है आत्मा शरीर से अलग हो जाना।

निदान, जैसे देह आत्मा बिना मरी हुई है वैसा ही विश्वास भी कर्म बिना मरा हुआ है। (याकूब 2:26)

और जब उस ने पांचवी मुहर खोली, तो मैं ने वेदी के नीचे उन के प्राणों को देखा, जो परमेश्वर के वचन के कारण, और उस गवाही के कारण जो उन्होंने दी थी, वध किए गए थेऔर उन्होंने बड़े शब्द से पुकार कर कहा; हे स्वामी, हे पवित्र, और सत्य; तू कब तक न्याय न करेगा? और पृथ्वी के रहने वालों से हमारे लोहू का पलटा कब तक न लेगा? और उन में से हर एक को श्वेत वस्त्र दिया गया, और उन से कहा गया, कि और थोड़ी देर तक विश्राम करो, जब तक कि तुम्हारे संगी दास, और भाई, जो तुम्हारी नाई वध होने वाले हैं, उन की भी गिनती पूरी न हो ले। (प्रकाशित वाक्य 6:9-11)

यहाँ लिखा है कि जो लोग यीशु के गवाह होने की वजह से शहीद हो गए हैं, उन्होंने पुकार कर खुदावन्द यीशु मसीह से कहा कि ऐ खुदा! तू हमारा बदला कब लेगा? इसका मतलब है कि शारीरिक मौत के बावजूद भी हम खुदा से बातचीत कर सकते हैं, और हमारा जीवन समाप्त नहीं होता

पर तुम सिय्योन के पहाड़ के पास, और जीवते परमेश्वर के नगर, स्वर्गीय यरूशलेम के पास। और लाखों स्वर्गदूतों और उन पहिलौठों की साधारण सभा और कलीसिया, जिनके नाम स्वर्ग में लिखे हुए हैं, और सब के न्यायी परमेश्वर के पास, और सिद्ध किए हुए धर्मियों की आत्माओं। और नई वाचा के मध्यस्थ यीशु और छिड़काव के उस लहू के पास आए हो, जो हाबिल के लोहू से उत्तम बातें कहता है (इब्रानियों 12:22-24)

यहाँ लिखा है कि यीशु मसीह का खून हाबिल के खून से बेहतर बातें करता है। तो हम जानते हैं कि हाबिल मर तो गाया है, परन्तु वह खुदा से बातें कर सकता है। और ऐसा ही मसीह भी मर गए मगर तौभी खुदा से बातें करते हैं जिस से हम जानते हैं कि मरने के बाद भी जीवन समाप्त नहीं होता है

फिर लिखा हुआ है कि खुदा के लिए सब जीवित हैं। 

परन्तु इस बात को कि मरे हुए जी उठते हैं, मूसा ने भी झाड़ी की कथा में प्रगट की है, कि वह प्रभु को ‘अब्राहम का परमेश्वर, और इसहाक का परमेश्वर, और याकूब का परमेश्वर’ कहता है। (लूका 20:37)

मुसलमानों के लिए हमारा सवाल -

सवाल करनेवाला अपने कुरआन को भी नहीं समझता है। क्योंकि कुरआन के सूरह अल-बक़रह 2:154, सूरह अल-इमरान 3:169-170 में लिखा है कि जो लोग जंग में मारे गए हैं उन्हें “मुर्दा” न कहो, क्योंकि वे खुदा के साथ जीवित हैं।

और उन लोगों को जो अल्लाह के मार्ग में मारे जाते हैं, मुर्दा न कहो, वे तो जीवित हैं, परन्तु तुम्हें इसकी अनुभूति नहीं होती (सूरह अल-बक़रह 2:154)

और जो लोग अल्लाह के मार्ग में मारे गये, उन्हें मरा हुआ न समझो। बल्कि वे अपने ‘रब’ के पास जीइथ हैं, रोज़ी पा रहे हैं (सूरह आले इमरान 3:169)

इन आयतों के मुताबिक़ हम उन से इन सवालों को पूछ्ना चाहते हैं।
1) क्या आप अपनी ही किताब यानी क़ुर‍आन को भी नहीं जानते? क्या उसी वजह से ऐसे नासमझ सवाल पूछ रहे हैं? अगर आप क़ुर‍आन को समझते नहीं हैं तो आप को चाहिये कि अपनी किताब का सही अध्ययन पहिला करें; और अगर दूसरी किताबों की मदद के बिना कुर‍आन को पूरी तरह से समझ नहीं पाते है, तो इस बात को क़ुबूल करने से डरते क्यों हैं कि कुर‍आन पूरी तारह से मुकम्मिल किताब नहीं है?

2) अगर आप क़ुर‍आन की इन आयतों को जानते भी इस सवाल को पूछते हैं, तो आप ज़रूर बेईमान और धोखेबाज़ साबित होते हैं, जिन से हक़ीक़ी परमेश्वर यहोवाह को सख़्त नफ़रत है। और हक़ीक़ी परमेश्वर यहोवाह हर तरह के धोखेबाज़ को नरक का दंड देते हैं, तो ज़ाहिर है कि आप भी उसी दंड पानेवाले है।

इसलिए सवाल करनेवाले को चाहिए कि वह पहले मसीही विचारधारा को जाने, बाइबल में मौत का सही अर्थ को जाने, और कुरआन में मौत का मतलब को पहचाने।

मौत का मतलब जीवन का समाप्त होना नहीं है, बल्कि आत्मिक तौर से खुदा से अलग होना है। और यीशु मसीह मनुष्य होने के नाते मरे, मगर खुदा होने के नाते खुद को जीवित कर दिये और वही सबका न्याय करनेवाले हैं, क्योंकि यीशु खुदा हैं

आइए हम कुछ वचनों को पढ़े -

यीशु ने उनको उत्तर दिया, ‘इस मन्दिर को ढा दो, और मैं उसे तीन दिन में खड़ा कर दूंगा। यहूदियों ने कहा, ‘इस मन्दिर के बनाने में छियालीस वर्ष लगे हें, और क्या तू उसे तीन दिन में खड़ा कर देगा?’ परन्तु उस ने अपनी देह के मन्दिर के विषय में कहा था। अतः जब वह मुर्दों में से जी उठा तो उसके चेलों को स्मरण आया कि उसने यह कहा था; और उन्होंने पवित्र शास्त्र और उस वचन की जो यीशु ने कहा था, प्रतीति की (यूहन्ना 2:19-22)

पिता इसलिये मुझ से प्रेम रखता है, कि मैं अपना प्राण देता हूं, कि उसे फिर ले लूं। कोई उसे मुझ से छीनता नहीं, वरन मैं उसे आप ही देता हूँ। मुझे उसके देने का अधिकार है, और उसे फिर ले लेने का भी अधिकार है : यह आज्ञा मेरे पिता से मुझे मिली है (यूहन्ना 10:17-18)

देखो, वह बादलों के साथ आने वाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे। हाँ। आमीन॥ प्रभु परमेश्वर, जो है और जो था और जो आनेवाला है, जो सर्वशक्तिमान है, यह कहता है, “मैं ही अल्फ़ा और ओमेगा हूँ”॥ जब मैं ने उसे देखा तो उसके पैरों पर मुर्दा सा गिर पड़ा। उसने मुझ पर अपना दाहिना हाथ रख कर यह कहा, “मत डर; मैं प्रथम और अन्तिम और जीवता हूँ। मैं मर गया था, और अब देख मैं युगानुयुग जीवता हूँ; और मृत्यु और अधोलोक की कुंजियाँ मेरे ही पास हैं। (प्रकाशितवाक्य 1:7-8,17-18)

स्मुरना की कलीसिया के दूत को यह लिख : “जो प्रथम और अन्तिम है, जो मर गया था और अब जीवित हो गया है, वह यह कहता है कि।” (प्रकाशितवाक्य2:8)

क्योंकि सेनाओं का यहोवा यों कहता है, उस तेज के प्रगट होने के बाद उस ने मुझे उन जातियों के पास भेजा है जो तुम्हें लूटती यीं, क्योंकि जो तुम को छूता है, वह मेरी आँख की पुतली ही को छूता है। देखो, मैं अपना हाथ उन पर उठाऊंगा, तब वे उन्हीं से लूटे जाएंगे जो उनके दास हुए थे। तब तुम जानोगे कि सेनाओं के यहोवा ने मुझे भेजा है। हे सिय्योन, ऊँचे स्वर से गा और आनन्द कर, क्योंकि देख, मैं आकर तेरे बीच में निवास करूंगा, यहोवा की यही वाणी है। (जकर्याह 2:8-10)

यीशु कहते हैं कि मैं ही अल्फ़ा और ओमेगा हूँ यानी ख़ादिर-ए-मुतलक़ खुदा हूँ। मैं मर गया था पर अब हमेशा के लिए ज़िंदा हूँ।

“आमीन”


यीशु कौन है?
आन्सरिंग इस्लाम हिन्दी