क्या क़ुरान बाइबिल की जगह में बाइबिल को हटाने के लिए आई है?
बहुत सारे मुसल्मान यह दावा करते हैं कि इस्लाम की पवित्र पुस्तक "कुरान", बाइबिल और यहूदियों के धर्म ग्रन्थ को हटाने आई है, क्योंकि वे कहते हैं कि उन में बहुत बदलाव आ गया है, या पुरानी हो गईं हैं, या खो गईं हैं। हालांकि, खुद कुरान में ऐसी कोई बात हम नहीं पाते हैं। इसके बजाय कुरान यह कहती है कि वह उन लेखनों को करार करने के लिए आई है जो उसके पहले से हैं। हमें यह समझना चाहिए कि अगर कुछ बात को पुष्टि करना पड़ता है, तो वह अत्यधिक महत्वपूर्ण बात होती है। अगर खुदा स्वयं यह पुष्टिकरण करता है तो इस बात का बड़ा ही महत्व होता है। अब हम इस के बारे में कुछ आयतों को देखेंगे। कुरान उन दो किताबों को हटाने, बदलने, रद्द करने, या संशोधित करने के लिये नहीं आई है, परन्तु उन किताबों को पुष्टि करने के लिये आई है।
और ईमान लाओ उस चीज़ पर जो मैंने उतारी है। तस्दीक (पुष्टि) करती हुई उस चीज़ की जो तुम्हारे पास है। (सूरह अल-बक़रह 2:41)
और जब आई अल्लाह की तरफ़ से उनके पास एक किताब जो सच्चा करने वाली उसे जो उनके पास है। (सूरह अल-बक़रह 2:89)
और वे इसका इंकार करते हैं जो इसके पिछे आया है। हलांकि वह हक़ है और सच्चा करने वाला है उसे जो इनके पास है। (सूरह अल-बक़रह 2:91)
और जब उनके पास अल्लाह की तरफ़ से एक रसूल आया जो सच्चा करने वाला था उस चीज़ का जो उनके पास है। (सूरह अल बक़रह 2:101)
और इससे पहले मूसा की किताब थी रहनुमा और रहमत। और यह एक किताब है जो उसे साच्चा करती है, अरबी जबान में। (सूरह अल अहक़ाफ़ 46:12)
और यह एक किताब है जो हमने उतारी है, बरकत वाली है, तस्दीक़ (पुष्टि) करने वाली उनकी जो इससे पहले हैं। (सूरह अल अनआम 6:92)
और हमने तुम्हारी तरफ़ किताब उतारी हक़ के साथ, तस्दीक (पुष्टि) करने वाली पिछली किताब की और उसके मज़ामीन पर निगहबान। (सूरह अल माइदह 5:48)
उन पिछली ईश्वरोक्तियों का क्या महत्व है जो अब किताब-ए-मुक़द्दस बाइबिल में मौजूद हैं? कुरान ये बातें क्यों कहती है कि वह उन पुराने ईश्वरोक्तियों को पुष्टि करने के लिए और उन्हें रक्षा करने के लिए आई है? कुरान में ही हम उसका जवाब पाते हैं। कुरान यह कहती है कि पिछली ईश्वरोक्तियाँ चेतावनी, अंतर्दृष्टि, दया, मार्गदर्शन, और प्रकाश के रूप में मानव जाति के लिए भेजी गयी हैं। और ज़ाहिर है, कि यह प्रकाश आदमी को पाप और दंड के अंधेरे से मुक्ति और अनन्त जीवन की महिमा की ओर नेतृत्व कर सकता है। आइए हम कुरान के कुछ गवाहियों को देखें -
और उसने तौरात और इंजील उतारी इससे पहले लोगों की हिदायत के लिए... (सूरह आले इमरान 3:3)
बेशक हमने तौरात उतारी है जिस में हिदायत और रोशनी है। (सूरह अल-माइदह 5:44)
और हमने उसे इंजील दी जिस में हिदायत और नूर है... (सूरह अल-माइदह 5:46)
और हमने अगली उम्मतों को हलाक करने के बाद मूसा को किताब दी। लोगों के लिए बसीरत (सूझबूझ) का सामान, और हिदायत और रहमत ताकी वे नसीहत पकड़ें। (सूरह अल-कसस 28:43)
मुसलमानों को यह बात समझना चाहिए कि जिन ईश्वरोक्तियों के बारे में ऊपर बताया गया है, वही ईश्वरोक्तियाँ आज हम बाइबिल में पाते हैं। वे परमेश्वर की ओर से निशानियाँ हैं, जिस वजह से, उन पर विश्वास करना चाहिए। कुरान इस पर स्पष्ट है-
बेशक जिन लोगों ने अल्लाह की निशानियों का इंकार किया उनके लिए सख़्त अज़ाब है और अल्लाह ज़बरदस्त है, बदला लेने वाला। (सूरह आले इमरान 3:4)
जिन्होंने किताब को झूठलाया और उस चीज़ को भी जीसके साथ हमने अपने रसूलों को भेजा। तो अनक़रीब वे जानेंगे, जबकि उनकी गर्दनों में तौक़ होंगे। और ज़ंजीरें, वे घसीटे जाएंगे जलते हुए पानी में। फिर वे आग में झौंक दिए जयेंगे। (सूरह अल-मोमिन 40:70-72)
अंग्रेज़ी मूल - The Claim that the Qur'an Came to Replace the Bible
सवाल-जवाब
आन्सरिंग इस्लाम हिन्दी